Quadrilateral Security Dialogue— जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं — एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय साझेदारी रही है, जिसका उद्देश्य इंडो-पासिफिक क्षेत्र में सामरिक सहयोग और स्थिरता स्थापित करना है। 2025 में भारत द्वारा इस समूह की वार्षिक नेताओं की बैठक की मेजबानी कई तरह की आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना कर रही है। इस पृष्ठभूमि में, Donald Trump का भूमिका विशेष रूप से उल्लेखनीय है, क्योंकि उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में क्वाड की दिशा और सहजीकरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है।
1. भारत दौरा और अमेरिकी-भारतीय संबंध
- फ़रवरी 2025, में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ट्रम्प से वाशिंगटन डी.सी. में मुलाकात हुई। इस दौरान उन्होंने व्यापार को बढ़ाकर 2030 तक 500 बिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य “Mission 500” रखा, साथ ही 10-साल का रक्षा साझेदारी ढांचा भी स्थापित करने पर सहमति हुई।
- इस दौरान ऊर्जा और आव्रजन जैसे मुद्दों पर भी समझौते हुए, लेकिन भारत ने ट्रम्प के कुछ मध्यस्थता दावों (जैसे कि भारत-पाक संघर्ष को ख़त्म करने का दावा) को सिरे से खारिज कर दिया।
2. Quad Summit की तैयारी और Trump की भूमिका
- जनवरी 2025 में, ट्रम्प प्रशासन के पहले विदेशी मंत्रियों की बैठक में, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सत्ता-शिखर पर अपनी मौजूदगी से भारत की बढ़ती भूमिका को प्रदर्शित किया। कई विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि 2025 के नेताओं के सम्मेलन में “initiative fatigue” से निपटना और सेक्रोटाइज्ड (अत्यधिक सुरक्षा-केन्द्रित) दृष्टिकोण से बचना आवश्यक होगा। ट्रम्प की नीतियाँ अधिक “transactional diplomacy” (लेन-देन आधारित कूटनीति) की ओर झुकी हुई प्रतीत होती हैं।
- 3. ट्रम्प का भारत आना — आमंत्रण, सहमति, फिर वापस हटना
- जून 2025 में, पीएम मोदी ने G7 सम्मेलन के दौरान ट्रम्प को भारत क्वाड समिट में आने के लिए आमंत्रित किया, और ट्रम्प ने इसे स्वीकार भी किया। हालांकि, अगस्त 2025 अंत तक उनके भारत दौरे की योजना अचानक बदल गई। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार ट्रम्प “अब भारत भाग लेने की योजना नहीं बना रहे,” जिसमें भारत–अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव, टैरिफ, और व्यक्तिगत संबंधों में गिरावट को मुख्य कारण बताया गया है। यह बदलाव क्वाड समिट के आयोजन की विश्वसनीयता और यात्रा योजनाओं पर प्रश्नचिह्न लगाता है और एकतरफा टकराव को दर्शाता है।
4. संयुक्त रणनीतिक दृष्टिकोण और बाहरी प्रभाव
- ट्रम्प की नीतियाँ संरक्षणवादी रवैये (protectionist trade policies) और टैरिफ बढ़ाने जैसी कार्रवाइयाँ क्वाड साझीदारों जैसे जापान को असहज कर रही हैं, जिससे समूह की एकता प्रभावित होती दिख रही है।
- ऑस्ट्रेलिया ने भी संकेत दिए हैं कि वे ट्रम्प प्रशासन के साथ “Quad को अधिक प्रभावशाली बनाने की दिशा” में काम करना चाहते हैं — एक सकारात्मक नज़रिया, बावजूद इसके कि अमेरिकन नीति में अस्थिरता बनी हुई है। वैश्विक संदर्भ में, रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन के बढ़ते दबाव के बीच, क्वाड की रणनीतिक महत्ता बढ़ गई है, लेकिन ट्रम्प की व्यक्तिगत रणनीति ने इसकी संभावित क्षमता को सीमित कर दिया है।
5. समालोचनात्मक विश्लेषण और आगे का परिदृश्य
- नीति विशेषज्ञ मानते हैं कि केवल ट्रम्प को दोषी ठहराना पर्याप्त नहीं है; भारत को भी अपनी नीति और संवाद शैली की समीक्षा करनी होगी ताकि आगे के संकटों से सफल समन्वय हो सके। ऐसे समय में, जब चीन-प्रतिकूल दृष्टिकोण और रक्षा सहयोग प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं, तो क्वाड में सहकारी प्रवर्तन और व्यावहारिक पहल का महत्व बढ़ जाता है — एक “results-oriented structure” होना चाहिए, न कि केवल कूटनीतिक संवाद।
- ट्रम्प की वापसी से Quad पर उनके प्रभाव का स्वरूप स्पष्ट नहीं है — यह अब भी अधर में है कि उनका नेतृत्व समूह की दीर्घकालिक मजबूती सुनिश्चित करेगा, या इसकी रणनीतिक उपादेयता को चुनौती देगा।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रम्प का 2025 में Quad समिट को लेकर रवैया — पहले सहमति और बाद में वापसी — इस क्षेत्रीय गठबंधन की मजबूती और भविष्य के प्रति प्रश्न चिन्ह उठाता है। व्यापारिक तनाव, व्यक्तिगत नेतृत्व की अनिश्चितता, और सामरिक दृष्टिकोण की विफलता ने इसे और जटिल बना दिया है। भारत और अन्य साझीदार देशों के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है — रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखते हुए, सहयोग के ऐसे तरीकों को अपनाना जो स्थिर, दृष्टिगत, और प्रभावपूर्ण हों।
